स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज़ ने फ़लस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में शामिल किए जाने की मांग की है. पीएम सांचेज़ ग़ज़ा में इसराइल के ‘सैन्य अभियान’ के मुखर आलोचक हैं.
सांचेज़ ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की बैठक से पहले कहा, “यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह आख़िरी नहीं है. यह केवल शुरुआत है.”
उन्होंने कहा, “फ़लस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाया जाना चाहिए.’
“फ़लस्तीन के इस संगठन में शामिल होने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए और इसे अन्य देशों के बराबर दर्जे पर रखा जाना चाहिए.”
स्पेन मई में फ़लस्तीन को बतौर देश मान्यता दे चुका है.
फ़लस्तीन को वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से लगभग 75 फ़ीसदी ने देश के तौर पर मान्यता दी है.
संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन को ‘स्थायी पर्यवेक्षक’ का दर्जा मिला है, जिससे वह बैठकों में भाग ले सकता है लेकिन मतदान का अधिकार नहीं रखता है.
फ्रांस ने फ़लस्तीन को औपचारिक तौर पर मान्यता दे दी है.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, “शांति का समय आ गया है” और “ग़ज़ा में जारी युद्ध का कोई औचित्य नहीं है.”
फ्रांस और सऊदी अरब संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे हैं, जो इसराइल-फ़लस्तीन के संघर्ष के समाधान के तौर पर दो-राष्ट्र के सिद्धांत पर केंद्रित है.
हालांकि, जी7 के सदस्य जर्मनी, इटली और अमेरिका इस बैठक में शामिल नहीं हुए.