राजस्थान में पंचायतीराज और निकाय चुनावों से पहले सरकार एक बड़ा निर्णय लेने की तैयारी में है. चर्चा है कि 2 से अधिक संतान वाले जनप्रतिनिधियों पर लगी रोक को लेकर सरकार नीति में बदलाव कर सकती है. दरअसल, साल 1995 में लागू इस नियम के तहत 2 से ज्यादा बच्चों वाले व्यक्तियों को पंचायत और नगर निकाय चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी. लेकिन अब बदलते सामाजिक हालात और जनसंख्या के नए परिदृश्य को देखते हुए सरकार इस पर पुनर्विचार कर रही है. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने साफ संकेत दिए हैं कि सरकार के पास इस मुद्दे पर मिले ज्ञापनों को लेकर परीक्षण चल रहा है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय ले सकते हैं.
तर्क- सिर्फ स्थानीय चुनाव में पाबंदी क्यों
खर्रा ने कहा कि सरकार जनता की लंबे समय से उठाई जा रही मांगों को गंभीरता से देख रही है. उनका तर्क है कि जब लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है तो सिर्फ स्थानीय चुनावों में यह भेदभाव क्यों हो. अगर दो से अधिक संतान वालों को राहत देने का निर्णय हो जाता है, तो यह कदम राज्य की स्थानीय राजनीति का स्वरूप बदल सकता है.
जनसंख्या नियंत्रण कानून की व्याख्या पर असर
हालांकि यह मांग काफी लंबे से चली आ रही है. एक बार फिर इस मांग के उठने के बाद सरकार की ओर से विचार की बात कही जा रही है. वहीं, इसे लेकर बहस भी शुरू हो गई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा फैसला न केवल हजारों आकांक्षी उम्मीदवारों के लिए राहत साबित होगा, बल्कि 30 वर्षों से चले आ रहे जनसंख्या नियंत्रण कानून की व्याख्या को भी नया दृष्टिकोण देगा.

