भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलिकम्युनिकेशन (डीओटी) ने सोमवार को स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे मार्च 2026 से बेचे जाने वाले नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करके रखें.
डीओटी ने कहा है कि स्मार्टफोन निर्माता इस बात को सुनिश्चित करें कि ऐप को न तो डीएक्टिवेट किया जाए और न ही इस पर किसी तरह की पाबंदियां लगें.
निर्देशों में कहा गया है कि संचार साथी ऐप का उपयोग “मोबाइल उपकरणों में उपयोग किए जाने वाले आईएमईआई की प्रामाणिकता सत्यापित करने” के लिए किया जाएगा.
यह स्पष्ट नहीं है कि ऐप की उन उपकरणों के आईएमईआई नंबर तक स्वतः पहुँच होगी, जिन पर इसे प्री-इंस्टॉल किया गया है या यूजर्स को स्वयं यह हार्डवेयर पहचान संख्या दर्ज करनी होगी.
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस क़दम की आलोचना की है. पार्टी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए इन निर्देशों को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
एक बयान में डीओटी ने कहा कि यह क़दम “नागरिकों को नकली हैंडसेट ख़रीदने से बचाने और दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को समझने में मदद के लिए उठाया गया है.
संचार साथी ऐप, जिसे पहली बार 2023 में एक पोर्टल के रूप में शुरू किया गया था. जिसका उपयोग स्कैम कॉल की रिपोर्ट दर्ज करने, यूजर्स को उनके नाम पर रजिस्टर्ड सिम कार्ड की पहचान करने और फोन चोरी होने पर उसे निष्क्रिय करने के लिए किया जाता रहा है.
यह भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएई) के डीएनडी ऐप की तरह है. इसका इस्तेमाल व्यावसायिक स्पैम को रोकने के लिए होता है.
डीओटी ने अपने निर्देश में क्या कहा है?
- सभी नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप प्रीइंस्टॉल होगा.
- जो डिवाइस पहले से ही मार्केट में हैं, उनमें ऐप ओएस सॉफ्टवेयर अपडेट के ज़रिए इंस्टॉल होगा.
- ऐप का इस्तेमाल चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने, आईएमईआई असली है या नहीं- इसे सुनिश्चित करने और स्पैम कॉल को रिपोर्ट करने में किया जाएगा.
- सरकार का कहना है कि इस ऐप के कारण हज़ारों गुम हुए मोबाइल फोन को खोजा जा चुका है.
- सरकार के इस क़दम का एपल विरोध कर सकता है क्योंकि टीआरआई ने अतीत में ऐसी ही पहल की थी और एपल ने विरोध किया था
- इससे पहले डीओटी ने कहा था कि सिम-बाइंडिंग साइबर अपराध को बंद करने के लिए ज़रूरी है. सिम बाइंडिंग के तहत मैसेजिंग ऐप्स को कहा गया है कि वे इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि उनकी सर्विस केवल रजिस्टर्ड सिम वाले डिवाइस में ही काम करे.
- डीओटी के इन निर्देशों को 90 दिनों के भीतर लागू करना होगा और 120 दिनों में रिपोर्ट करना होगा.
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संचार साथी की अनिवार्यता की आलोचना
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि निजता का अधिकार संविधान में दिया गया मूलभूत अधिकार है और ये दिशा निर्देश इसकी अवहेलना करते हैं. उन्होंने कहा कि निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक अभिन्न अंग है.
वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “मोबाइल में पहले से इंस्टॉल सरकारी ऐप जिसे हटाया नहीं जा सकता, दरअसल हर भारतीय नागरिक की निगरानी का टूल है. यह हर नागरिक की गतिविधियों और फ़ैसले पर नज़र रखेगा.”
ख़ुद को राजनीतिक विश्लेषक बताने वाले तहसीन पूनावाला ने संचार साथी ऐप को लेकर लिखा है, ”जागो भारत! सरकार का संचार साथी ऐप अनिवार्य करना हमारी निजता और स्वतंत्रता पर सीधा हमला है.”
”हर नए फोन में इसे जबर्दस्ती प्री-इंस्टॉल करके और हमें इसे अनइंस्टॉल न करने देने के नाम पर ‘सुरक्षा’ की आड़ में सरकार हमारी कॉल, मैसेज और लोकेशन पर नज़र रखने की शक्ति हासिल कर सकती है. यह सबसे ख़राब तरह की निगरानी है और सरकार हमें अपराधियों की तरह ट्रैक कर सकेगी. हमें इसके ख़िलाफ़ लड़ना होगा.”
राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने संचार साथी की अनिवार्यता का विरोध करते हुए लिखा है, ”मोबाइल फोन निर्माताओं को संचार साथी मोबाइल ऐप को एक स्थायी मोबाइल फीचर के रूप में अनिवार्य करने का भारत सरकार का निर्णय एक और “बिग बॉस” जैसी निगरानी का उदाहरण है.”
”इस तरह के संदिग्ध तरीक़ों से लोगों के व्यक्तिगत फोन में दखल देने की कोशिश का विरोध किया जाएगा.अगर आईटी मंत्रालय यह सोचता है कि मज़बूत शिकायत निवारण प्रणाली बनाने के बजाय वह निगरानी प्रणाली बनाएगा तो उसे जनता के तीव्र प्रतिरोध के लिए तैयार रहना चाहिए.”
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सिम बाइंडिंग का आदेश
डीओटी ने कहा है, “टेलिकॉम नेटवर्क में छेड़छाड़ किए गए आईएमईआई से ऐसी स्थिति पैदा होती है, जिसमें एक ही आईएमईआई अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग उपकरणों में एक साथ काम कर रहा होता है. ऐसे आईएमईआई के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में चुनौतियां आती हैं.”
डीओटी ने कहा है, “भारत में सेकंड-हैंड मोबाइल उपकरणों का बड़ा बाजार है. कुछ मामलों में देखा गया है कि चोरी किए गए या ब्लैकलिस्ट किए गए उपकरणों को दोबारा बेचा जा रहा है. इससे ख़रीदार अपराध का सहयोगी बन जाता है और उसे आर्थिक नुक़सान भी उठाना पड़ता है. ब्लॉक/ब्लैकलिस्ट किए गए आईएमईआई को संचार साथी ऐप के माध्यम से जांचा जा सकता है.”
सिम बाइंडिंग को लेकर डीओटी ने कहा था, “इंस्टैंट मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप्स पर अकाउंट तब भी काम करते रहते हैं, जब उनसे जुड़ा सिम हटा दिया जाता है, निष्क्रिय कर दिया जाता है या विदेश ले जाया जाता है. इससे गुमनाम घपले, ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ धोखाधड़ी और भारतीय नंबरों का उपयोग कर फ़र्ज़ी सरकारी अधिकारियों के रूप में कॉल संभव हो जाती हैं.”
कुछ स्मार्टफोन कंपनियों ने दुनिया भर में पहले भी सरकारों के ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने के निर्देशों का विरोध किया है. मिसाल के तौर पर एपल ने टीआरएई के स्पैम-रिपोर्टिंग ऐप को इंस्टॉल करने के नियमों का विरोध किया था. टीआरएई ऐप की परमिशन में एसएमएस और कॉल लॉग तक पहुंच शामिल थी.
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क्या है संचार साथी ऐप
संचार साथी ऐप साइबर सिक्योरिटी टूल है. यह ऐप 17 जनवरी 2025 में मोबाइल ऐप के रूप में पेश किया गया. यह ऐप एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.
सरकार ने बताया था कि अगस्त 2025 तक यह ऐप को 50 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है.
दावा किया गया है कि 37 लाख से अधिक चोरी या खोये हुए मोबाइल हैंडसेट को सफलतापूर्वक ब्लॉक किया गया है.
साथ ही संचार साथी ऐप के ज़रिये 22 लाख 76 हज़ार से अधिक डिवाइस को सफलतापूर्वक खोजा भी गया है.
यह सीधे सरकार की टेलिकॉम सिक्योरिटी प्रणाली से जुड़ा हुआ है. दरअसल, सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर यानी सीईआईआर केंद्रीय डेटाबेस है, जहाँ देश के हर मोबाइल फोन का IMEI नंबर दर्ज रहता है.
सरकार का दावा है कि संचार साथी ऐप फोन की सुरक्षा, पहचान की सुरक्षा और डिजिटल ठगी से बचाने का एक आसान और उपयोगी टूल है.
सरकार का दावा है कि यह फोन को सुरक्षित रखता है, ग्राहक की पहचान के दुरुपयोग को रोकता है और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत सरकारी सहायता उपलब्ध कराता है.
यह फोन के IMEI नंबर, मोबाइल नंबर और नेटवर्क से जुड़ी जानकारी की मदद से ग्राहक की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
जब ग्राहक इस ऐप को फोन में खोलते हैं, तो सबसे पहले यह मोबाइल नंबर मांगता है. नंबर डालने के बाद फोन पर एक ओटीपी आता है, जिसे डालकर फोन इस ऐप से जुड़ जाता है. इसके बाद ऐप फोन के IMEI नंबर को पहचान लेता है.
ऐप IMEI को दूरसंचार विभाग की केंद्रीय CEIR प्रणाली से मिलाता है और यह जांचता है कि फोन की शिकायत चोरी के मामले में दर्ज तो नहीं है या फिर ये ब्लैकलिस्टेड तो नहीं है.
यह ऐप हिंदी और 21 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है. ज़ाहिर से इससे इसे देशभर के लगभग सभी मोबाइल उपयोगकर्ता इस्तेमाल कर सकते हैं.


