कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा शुरू की; केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा शुरू की।
लोकसभा में मंगलवार (9 दिसंबर, 2025) को निचले सदन में चुनाव सुधारों पर बहस चल रही है।
विपक्ष मॉनसून सत्र से ही संसद में चुनावी रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र, स्वायत्त और संवैधानिक निकाय बताते हुए चुनाव सुधारों पर बहस का सुझाव दिया। उम्मीद है कि बीजेपी इस बहस में, जो दो दिनों तक चलेगी, वरिष्ठ नेता निशिकांत दुबे, पी.पी. चौधरी, अभिजीत गंगोपाध्याय और संजय जायसवाल को मैदान में उतारेगी। श्री गांधी के अलावा, कांग्रेस की ओर से के.सी. वेणुगोपाल, मनीष तिवारी, वर्षा गायकवाड़, मोहम्मद जावेद, उज्ज्वल रमन सिंह, ईसा खान, रवि मल्लू, इमरान मसूद, गोवाल पाडवी और जोति मणि के बहस में शामिल होने की उम्मीद है।
इस बीच, राज्यसभा ने राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” की 150वीं वर्षगांठ पर अपनी चर्चा शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (8 दिसंबर) को निचले सदन में चर्चा शुरू करते हुए कहा कि वंदे मातरम एक चट्टान की तरह खड़ा रहा और ब्रिटिश उत्पीड़न के बावजूद एकता की प्रेरणा दी।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने दिसंबर 2023 में कानून बदल दिया ताकि किसी चुनाव आयुक्त को उसके फैसलों के लिए सजा नहीं मिले। आखिर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसकी जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘प्रोजेक्ट’ के तहत देश के विभिन्न संस्थाओं और निर्वाचन आयोग पर कब्जा किया गया। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग सत्तापक्ष में बैठे लोगों के साथ मिलीभगत करके फैसले कर रहा है।
राहुल गांधी ने चुनाव सुधारों पर चर्चा में भाग लेते हुए सवाल किया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाली चयन समिति में प्रधान न्यायाधीश को शामिल क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने दिसंबर 2023 में कानून बदल दिया ताकि किसी चुनाव आयुक्त को उसके फैसलों के लिए दंडित नहीं किया जा सके। आखिर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसकी जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने दावा किया कि इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।
राहुल गांधी ने कहा कि देश 1.5 अरब लोगों का तानाबाना है जो वोट के माध्यम से बुना हुआ है। अगर वोट का ही मतलब नहीं रह जाएगा तो लोकसभा, विधानसभा या पंचायत, किसी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। उन्होने कहा कि निर्वाचन आयोग सत्तापक्ष में बैठे लोगों के साथ मिलीभगत करके फैसले कर रहा है। चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार लंबे प्रचार अभियान के लिए समय दिया जाता है।
राहुल गांधी के इस दावे पर सत्तापक्ष की तरफ से आपत्ति जताई गई। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को निर्धारित विषय पर बोलना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यह विषय वोट से जुड़ा है और वह इसी आधार पर अपनी भूमिका बना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद जांच एजेंसियों पर कब्जा करने का लक्ष्य था।

