शीर्ष अदालत याचिकाओं में अंतरिम राहत के सवाल पर विचार करेगी और यह भी कहा कि वह 1995 के पहले के वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग वाली किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी–
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने गुरुवार (15 मई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है।
यह मामला पिछली बार 5 मई को मुख्य न्यायाधीश गवई के पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष आया था। न्यायमूर्ति खन्ना ने उस समय मामले की सुनवाई जारी रखने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा था कि 13 मई को उनकी सेवानिवृत्ति तक उनके पास बहुत कम समय है।
5 मई की सुनवाई वक्फ कानून में 2025 के संशोधनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की याचिका पर बहस के लिए निर्धारित की गई थी, जो याचिकाकर्ताओं के अनुसार, मुसलमानों के अपने धार्मिक मामलों और संपत्तियों का प्रबंधन करने के अधिकार में हस्तक्षेप करता है।
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5 मई से पहले, जस्टिस खन्ना, संजय कुमार और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने 17 अप्रैल को सरकार को खुली अदालत में यह बयान देने के लिए कहा था कि वह इन संशोधनों के आधार पर देश भर में वक्फ संपत्तियों के चरित्र या स्थिति में कोई बदलाव नहीं करेगी। बेंच ने 17 अप्रैल के अपने आदेश में इस बयान को दर्ज किया था।