डोनाल्ड ट्रम्प को एक पक्षपातपूर्ण संरक्षक के बजाय ईमानदार मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए
इजराइल द्वारा दो सालों तक अंधाधुंध बमबारी के बाद, गाजा में फिलिस्तीनियों को आखिरकार राहत नसीब हो रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 20-सूत्री शांति योजना के हिस्से के रूप में, हमास और इजराइल द्वारा हस्ताक्षरित युद्धविराम समझौते से इजराइल के हमलों पर विराम लग गया। उम्मीद है कि हमास सोमवार को सभी जीवित बंधकों को और बाकी के शव उसके कुछ दिनों बाद रिहा कर देगा। इजराइली सैनिकों ने दक्षिण में राफा से लेकर उत्तर में सीमावर्ती गाजा शहर तक प्रारंभिक वापसी रेखा की ओर पीछे हटना शुरू कर दिया है और तकरीबन 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाएगा। ट्रम्प इस युद्धविराम के लिए श्रेय के पात्र हैं। हाल तक, हमेशा “पूर्ण विजय” तक लड़ने की कसमें खाने वाले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू युद्धविराम के तमाम आह्वानों का विरोध करते रहे। जब इजराइल ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले के बाद गाजा युद्ध शुरू किया था, तो उसने इस इस्लामी आतंकवादी संगठन को “नेस्तनाबूद” करने का संकल्प लिया था। बीते दो सालों में, इजराइल ने गाजा को मलबे में तब्दील कर दिया है और उसके 2.3 मिलियन लोगों में से अधिकांश को विस्थापित कर दिया है। फिलिस्तीनियों के क्रूर नरसंहार और भुखमरी ने इजराइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया। फिर भी, हमास एक अनसुलझी समस्या बनी रही। नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय जनमत की परवाह किये बिना इस लड़ाई को जारी रखना चाहते थे। लेकिन सैन्य और कूटनीतिक रूप से इजराइल का समर्थन करने वाले अमेरिका ने अंततः नेतन्याहू को बंधकों की रिहाई के एवज में युद्ध विराम को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया।
यूं तो यह युद्धविराम फिलिस्तीनियों, बंधकों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इससे गाजा में स्थायी शांति स्थापित हो ही जाए। यह युद्धविराम ट्रम्प की योजना का सिर्फ शुरुआती चरण ही है। इसमें हमास के विसैन्यीकरण, गाजा को एक अंतरराष्ट्रीय शासन निकाय के अधीन रखने और सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती का भी प्रावधान किया गया है। ट्रम्प की योजना के जवाब में हमास ने बंधकों को रिहा करने पर सहमति व्यक्त तो की है, लेकिन अन्य शर्तों पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। एक और विवादास्पद मुद्दा गाजा में इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) की निरंतर मौजूदगी है – शुरुआती वापसी के बाद भी, आईडीएफ गाजा के लगभग 53 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण बनाए रखेगा। ट्रम्प के सोमवार को गाजा के संबंध में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मिस्र जाने की उम्मीद है – फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर भी वहां मौजूद रहेंगे। फिलिस्तीन के मुद्दे पर नए सिरे से अंतरराष्ट्रीय ध्यान एक सकारात्मक घटनाक्रम है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये विचार-विमर्श इजराइल और फिलिस्तीनियों के रूखों के बीच की खाई को पाटकर स्थायी शांति की ओर ले जा पायेंगे। हमास द्वारा खुद को खत्म करने की मांग को स्वीकार किए जाने की संभावना कम ही है, खासकर दो सालों तक इजराइली सेना से लड़ने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं। लेकिन उस पर गाजा में सत्ता छोड़कर अंतरराष्ट्रीय ताकतों द्वारा समर्थित एक फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता सौंपने का दबाव डाला जा सकता है, जबकि इजराइल को वहां से निकलने के लिए राजी किया जाना चाहिए। ट्रम्प की स्थायी शांति की उम्मीद की खातिर, उन्हें एक देश के पक्षपाती संरक्षक के बजाए एक स्वतंत्र मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिए और इजराइल की सुरक्षा एवं फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय की इच्छा को मान्यता देनी चाहिए।