शहर में मंगलवार का दिन दान-पुण्य के नाम रहा। मकर संक्रांति पर हर किसी ने कुछ न कुछ दान-पुण्य किया। हालांकि सबका दान-पुण्य का तरीका अलग था, लेकिन उनमें भाव सेवा का था। किसी ने गोमाता, वानर और श्वानों की सेवा की तो किसी ने वृद्धाश्रम और निराश्रित बच्चों की सेवा की। किसी ने झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों की तो किसी ने फुटपाथ और मंदिरों में कपड़े-कंबल, भोजन और तिल से तो किसी ने अस्पतालों में रक्तदान से दान-पुण्य कर लाभ कमाया।
शहर के मंदिरों के बाहर मंगलवार को सुबह से ही भक्तों के दर्शनार्थ तांता लगा हुआ था। ऐसे में मंदिरों के बाहर गरीबों को तिल और जरूरत की वस्तुओं का दान देने का क्रम दिनभर चलता रहा। मेरी भावनाएं सेवा संस्थान द्वारा मकर संक्रांति पर्व पर चांदपोल स्थित शारदा गोशाला में एक हजार किलो सूखा चारा, हरा चारा एवं गुड़ की सेवा की गई।
मकर संक्रांति के मौसम में जोधपुर के तूरजी का झालरा में मनोरंजक पानी के खेल खेले जाते हैं. तूरजी का झालरा, जोधपुर का एक मजेदार स्थान है. यहां की प्रभावशाली डिजाइन कई पर्यटकों को आकर्षित करती है.


