1 अप्रैल, 2025 से व्यापारिक घरानों को जीएसटी ई-चालान पर नए नियमों का पालन करना होगा, और दस्तावेज़ की तारीख से 30 दिनों के भीतर ई-चालान अपलोड करना अनिवार्य हो जाएगा।
अब तक की कहानी: जीएसटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने जीएसटी पोर्टल पर बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) चालान की रिपोर्टिंग के लिए चरणबद्ध तरीके से ‘ई-इनवॉइसिंग’ या ‘इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइसिंग’ इको-सिस्टम को मंजूरी दी और शुरू किया। चूंकि तब कोई मौजूदा मानक/प्रारूप नहीं थे, इसलिए व्यापार/उद्योग निकायों के साथ-साथ भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान के साथ कई परामर्श के बाद, पूरे देश में एक मानकीकृत प्रारूप पेश किया गया था। तब से, जीएसटी ई-इनवॉइसिंग नियमों और विनियमों में भी कई बदलाव किए जा रहे हैं। जीएसटी ई-इनवॉइसिंग क्या है और यह कैसे काम करता है, इसके विवरण में जाने से पहले, आइए पहले नए नियमों की जाँच करें। 1 अप्रैल, 2025 से, ₹10 करोड़ और उससे अधिक के वार्षिक कुल कारोबार (AATO) वाले व्यावसायिक घरानों को दस्तावेज़ जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर चालान पंजीकरण पोर्टल (IRP) पर ई-इनवॉइस की रिपोर्ट/अपलोड करनी होगी। इससे पहले यह नियम केवल 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा के AATO वाले कारोबारी घरानों के लिए था। चूंकि टर्नओवर सीमा में भारी कमी की गई है, इसलिए बड़ी संख्या में कारोबारी घरानों को इस 30-दिन की समय-सीमा का पालन करना होगा।