सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ, राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा निर्धारित समय में विधेयकों पर विचार करने की शक्ति पर उठाए गए 14 प्रश्नों पर राष्ट्रपति संदर्भ (प्रेसिडेंशियल रेफरेंस) पर सुनवाई कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ, लगातार तीसरे दिन, एक राष्ट्रपति संदर्भ पर सुनवाई कर रही है, जिसमें यह स्पष्ट करने की माँग की गई है कि क्या राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करते समय राज्यपालों और राष्ट्रपति पर निश्चित समय-सीमाएँ थोपी जा सकती हैं।
बुधवार (20 अगस्त, 2025) को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों के पक्ष में तर्क दिया और कहा कि विधेयकों पर विचार करने के लिए समय-सीमा तय करने से इस पद की संवैधानिक शक्ति कम हो सकती है। उन्होंने अपनी दलीलों में संवैधानिक बहसों और संविधान के मसौदे का भी हवाला दिया।