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    ऑपरेशन सिंदूर ‘अंत’ नहीं बल्कि एक लंबी लड़ाई की दस्तक है

    Jodhpur HeraldBy Jodhpur HeraldMay 8, 2025

    पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद जिस जवाबी कार्रवाई की अपेक्षा थी वह दो सप्ताह के अंदर, एक मर्मस्पर्शी नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में सामने आ गई. पूरे तालमेल के साथ 24 मिसाइलों से आतंकवादियों के नौ अलग–अलग और दूर–दूर स्थित ठिकानों पर किए गए हमलों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय सेना ‘अपनी पसंद का समय और स्थान चुनकर’ हमला करने में कितनी सक्षम है. भारी सतर्कता वाले माहौल में यह ऑपरेशन लॉन्च किया गया और यह निर्धारित ठिकानों पर हमला करने में सफल रहा, यह भारतीय सेना की श्रेष्ठता और कौशल को ही उजागर करता है.

    हमले के लक्ष्यों और तरीके का चुनाव यही जाहिर करता है कि केवल आतंकवाद के सूत्रधारों को सज़ा देने के मकसद से किस तरह सावधानी से सटीक कार्रवाई की गई. इससे पहले दो सर्जिकल स्ट्राइक किए गए थे, एक जमीनी कार्रवाई के रूप में और एक हवाई हमले के रूप में. इस बार पाकिस्तान इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद कर रहा होगा. लेकिन एकदम अलग तरीका अपना कर चकमे में डालने का मकसद पूरा किया गया.

    आतंकवादी अड्डों पर भारी तबाही के साथ वहां बसे आतंकवादियों की अच्छी–ख़ासी संख्या में मौत ने पाकिस्तान की कमजोरियों को उजागर कर दिया. बहावलपुर और मुरीदके का चयन खास महत्व रखता है, सिर्फ इसलिए नहीं कि वे क्रमशः जैश–ए–मोहम्मद और लश्कर–ए–तैय्यबा के मुख्यालय हैं बल्कि इसलिए भी कि वे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बाहर हैं. यह भारत के इरादे को स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान में जहां भी आतंकवादियों या उनके सूत्रधारों को जगह मुहैया कराई जाएगी वह जगह उसके जायज निशाने पर होगी.

    पाकिस्तानी हमले के लिए तैयार रहें

    लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई पर जश्न मनाने का समय अभी नहीं आया है. इन हमलों के पहले से ही पाकिस्तान की ओर से जो बयान आ रहे हैं वे पाकिस्तानी फौजी खेमे के आक्रामक तेवर के ही संकेत देते हैं. पाकिस्तानी सेना मुल्क के भीतर और मुल्क के बाहर भी आलोचना झेल रही है. इसलिए हमें जैसे को तैसा वाले जवाब के लिए तैयार रहना चाहिए. इस मामले में पाकिस्तान के पास विकल्प बेहद सीमित हैं. जम्मू–कश्मीर में नागरिकों पर हमला ‘अपने ही लोगों’ पर हमला माना जाएगा.

    भौगोलिक दायरे को दूसरे सीमावर्ती राज्यों तक बढ़ाना टकराव के लिए उसे ही दोषी ठहराएगा. इन हालात में सैन्य प्रतिष्ठानों या मुख्यालयों पर हमले की पूरी संभावना है जिसके कारण दांव ऊंचे हो जाएंगे. चीन ने उम्मीद के मुताबिक इन हमलों पर दुख जाहिर किया है लेकिन इसके साथ ही उसने दोनों पक्ष को संयम बरतने की सलाह दी है. यह बेशक पाकिस्तान के हौसले को कमजोर करेगा और उसे अपनी जवाबी कार्रवाई पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर सकता है.

    हमें भी एक राष्ट्र के रूप में हर स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है. पूरे देश में नागरिक सुरक्षा के अभ्यास लोगों को खतरों के बारे में आगाह कर सकते हैं, जो किसी भी समय कहीं भी पैदा अहो सकते हैं. ये अभ्यास लोगों को डराने के लिए नहीं बल्कि शिक्षित करने के लिए होते हैं. दुश्मन की गोलियों से बचना सेना वालों को स्वतः आता है. ये अभ्यास प्रारंभिक ड्रिल हैं जो अपना वजूद बचाने के तरीके सीखते हैं. नागरिकों में भी यह वृत्ति जगाने की जरूरत है. उदाहरण के लिए, इजरायल में जब हवाई हमले का सारण बजता है, लोग बिना घबराए अपनेआप नजदीक के सुरक्षित स्थान की ओर चले जाते हैं.

    इसलिए ये अभ्यास लोगों को यह सिखाते हैं कि किसी आपात स्थिति में किस तरह व्यवहार करना चाहिए और क्या करना चाहिए, किस तरह किसी बहुमंज़िली इमारत के बेसमेंट में या पास के भूमिगत मेट्रो स्टेशन आदि में चले जाना चाहिए. 7 मई 2025 इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसने पाकिस्तान का यह मुगालता तोड़ दिया है कि वह सुरक्षित है. वह यही सोच रहा होगा कि हम जब तक पूरी तरह तैयार नहीं हो जाते तब तक हमला नहीं करेंगे. चकमा! चकमा!!

    इस फौजी हमले को अलगथलग रूप में नहीं देखा जाएगा. इसे पाकिस्तान का भांडा फोड़ने और उसे दुनिया भर में आतंकवाद को शह देने वाला एक दुष्ट देश साबित करने के लिए कूटनीतिक तथा आर्थिक स्तरों पर किए गए प्रयासों के बाद अंजाम दिया गया. ये हमले ‘अंतिम साध्य’ नहीं हैं, बल्कि ये ‘एक साध्य के साधन’ भर हैं— पूरे तालमेल से बनाए गए राष्ट्रीय ‘गेम–प्लान’ के हिस्से हैं. ये शायद लंबी चलने वाली लड़ाई में दागे गए पहले गोले के समान हैं.

    (जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, भारतीय थल सेना के सेवानिवृत्त अध्यक्ष हैं. वे 28वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ थे. उनका एक्स हैंडल @ManojNaravane है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

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