चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए, मतदाता सूचियों को निरंतर और गहन संशोधन के माध्यम से सटीक बनाया जाना चाहिए, और सभी दलों को इस प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए तकनीकी रूप से ठोस समाधान खोजने हेतु सहयोग करना चाहिए।
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के व्यापक संशोधन के माध्यम से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को मज़बूत करने के प्रयास दुर्भाग्य से राजनीतिक मंच पर एक और दलगत लड़ाई में बदल गए हैं। बिहार में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत की है। विपक्षी दलों ने 11 अगस्त को विरोध स्वरूप नई दिल्ली स्थित आयोग के कार्यालय तक मार्च निकालने की कोशिश की।
ये आलोचक, मतदाता सूचियों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने की प्रस्तावित योजनाओं का तुरंत विरोध करते हैं, साथ ही सूची में अशुद्धियों और दोहराव की ओर इशारा करते हुए इसे चुनावी धोखाधड़ी और “वोट चोरी” करार देते हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और चुनाव आयोग पर 2024 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में मतदाता धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक प्रस्तुति दी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के संबंध में भी इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं।